सामंतवादी सवर्ण मानसिकता के लोग आरक्षण पर अपनी बचकानी बातें कहने से पहले अपने अन्दर झांककर देखें।
जो कि भारत के अन्दर शिक्षा को धन्ना सेठों ने अपना व्यवसाय बना लिया है। बस सेलेक्शन ना होने पर रिजर्वेशन पर अपना ज्ञान जरूर पेलेंगे जो कि
निहायती घटिया होता है। अरे भाई जब 2500 वर्षों से तुम्हारे बाप दादाओं ने जमकर रिजर्वेशन लूट खाया है और अब भी खा रहे हैं, तब तुम्हें कोई दिक्कत नहीं होती है, लेकिन 70 साल से SC. ST. और 30 साल से OBC को क्या मिलने लगा सवर्ण सामंतवादी लोगों के पेट में चूहे काटने लगे हैं हजम नहीं हो रहा है। जबकि नीट में तो SC ST 2007 के बाद और OBC को तो अब आकर 2022 में मिला है वहीं EWS सुदामा कोटा जो गरीब सवर्णों को दिया जा रहा है, उससे किसी को कोई भी आपत्ति नहीं है अरे भाई ऐसा क्यों वो भी तो रिजर्वेशन ही है उसपे क्यों नहीं बोलते हो उसपे बोलने में क्या शर्म आती है।
सामंतवादी सवर्ण लोगों का मतलब है, जो भी मिले हमें ही मिले SC ST OBC को कुछ नहीं मिलना चाहिए।
अगर हकीकत में आरक्षण को खत्म कराना चाहते हो तो पहले मनुवादी सवर्ण सामंतवादी व्यवस्था को तो खत्म कराओ जिस पर 2500 वर्षों से तुम्हारे ही लोग काबिज हैं।
जो दूसरे का नंबर ही नहीं आने देते हैं।
जहाँ देखो वहीं सभी उच्च पदों पर सवर्ण सामंतवादी लोग भरे पड़े हैं।
SC ST OBC का नम्बर तक नहीं आने देते हैं, कई ऐसे उदाहरण हैं, जो कि ये साबित करते हैं, कि जब जब SC ST OBC आगे निकला है उसे किसी न किसी तरीके से वहीं दबा दिया गया है।
वर्ष 1950 पहली बार सिविल सर्विस की परीक्षा हुई SC व्यक्त अछूतानंद दास को
लिखित परीक्षा में सबसे अधिक मार्क्स प्राप्त हुए लेकिन इन्टरव्यू में सबसे कम अंक दिये गए एकलव्य के साथ क्या हुआ सबको पता है, अर्जुन से बड़ा धनुर्धारी होने की वजह से द्रोणाचार्य ने अंगूठा ही मांग लिया था।
और तो और अभी हाल ही में JNU में एक OBC व्यक्ति को लिखित में सबसे अधिक अंक मिले और वाइवा में मात्र 1 अंक दिया गया जितने भी SC ST OBC के बच्चे थे सबके साथ य
ही किया गया, मतलब साफ है कैसे भी करके SC ST OBC के बच्चों को आगे बढ़ने से रोका जाए सवर्ण सामंतवादी लोगों का मतलब एक ही है हर हाल में SC ST OBC के लोगों को वही पुरानी मनुवादी व्यवस्था की ओर धकेला जाये।
और कुछ हद तक हमारे समाज को मूर्ख बनाकर उन्हें 5 किलो राशन, 1 किलो नमक, 1 किलो दाल, 1 किलो चना, 1 किलो तेल और 5 किलो चावल देकर लेकिन उतने सफल नहीं हो पाये हैं अभी।
खैर अभी भी नासमझ मूर्ख बहुजन समाज इनके साथ हाँ में हाँ मिलाने पर लगा हुआ है।
जो कि हो सकता है बहुजन समाज को गुलामी की तरफ जाना पड़ जाए खैर इतना आसान भी नहीं है, कि एक ही झटके में सारा कुछ हो जाए।
इस सबसे बचने के लिए बहुजन समाज के लोगों को एकजुट होना होगा और जो लोग मूर्ख बने हुए हैं उन्हें हर हाल में शिक्षा का महत्व बताकर समझाना होगा नहीं तो जैसे पहले होता था वही सब फिर से झेलना होगा।
जय भीम नमो बुध्दाय जय भारत जय बहुजन समाज