विश्व महिला दिवस पर महिलाओं का कितना उद्धारण हुआ ?
विश्व महिला दिवस विषेश
पूरा विश्व आज महिला दिवस मना रहा है, लेकिन महिलाओं को आगे कैसे लाया जाए इसकी बात कोई भी नहीं करना चाहता है, उल्टा महिलाओं को घरेलू कामों में सभी उलझा के रखना चाहते हैं, तो ये कैसा महिला दिवस है, जहाँ आप महिलाओं को आगे ही नहीं आने देना चाहते हो ऐसा नहीं है कि पुरुषों की वजह से ही महिलाओं को आगे नहीं बढ़ने दिया जा रहा इसमें वो महिलाएँ भी जिम्मेदार हैं, जो महिला होकर महिलाओं की बात तक नहीं करती हैं, सिर्फ अपने आप तक ही सिमट कर रह जाती हैं।भारत में बाबा साहब डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर जी के द्वारा लाये गये हिन्दु कोड बिल जिसकी वजह से महिलाओं को उनके हक मिलते जिसे कांग्रेस ने पास नहीं होने दिया था जिस कारण बाबा साहब ने कानून मंत्री के पद से त्यागपत्र दे दिया था।
खैर बाद में जवाहर लाल नेहरू ने प्रथम लोकसभा चुनाव के बाद कई एक्ट बनाकर जैसे हिन्दु मैरिज एक्ट 1955, हिन्दु उत्तराधिकार अधिनियम 1956, हिन्दु दत्तक ग्रहण और पोषण अधिनियम, हिन्दु अवयस्कता और संरक्षण अधिनियम इत्यादि बदलाव करके बिल पास कर दिया था।
बाबा साहब डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर जी हिन्दु कोड बिल को केवल महिलाओं के लिए ही नहीं बल्कि समस्त हिन्दु समाज के उद्धारण के लिए लेकर आये थे, जिसमें समान नागरिक संहिता के साथ-साथ महिलाओं को भी बराबरी का अधिकार, सभी को वोट देने का अधिकार आदि कानून लेकर आये जिसे बाबा साहब डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर ने 1951 में हिन्दु कोड बिल के नाम से संसद में पेश किया लेकिन जवाहर लाल नेहरू जी ने पसंद होते हुए भी इस बिल को पास नहीं होने दिया था।
जब से लेकर अब तक यानी 1951 से लेकर 2022 तक 71 वर्ष हो गए लेकिन महिलाओं की स्थिति अब भी दयनीय बनी हुई है, इसके लिए ना तो कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं, और ना ही कुछ ऐसा दिख रहा है जिससे महिलाओं की स्थिति में कोई सुधार हुआ हो सरकारें आती हैं जाती हैं सिवाय कागज पर दिखाने के अभी तक कुछ भी नहीं किया गया है।
शहरी महिलाओं में तो थोड़ा बहुत बदलाव हुआ है लेकिन गांव की महिलाओं की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
जिसमें बदलाव की कोई गुंजाइश ही नजर नहीं आ रही है।