आजादी का 75 वाँ अम्रत महोत्सव और मरता पिटता दलित आदिवासी समाज : इस सब का जिम्मेदार कौन ?

राजस्थान के जालोर जिले के सायला थाना क्षेत्र के सुराणा गांव में देवाराम मेघवाल का नौ साल का बच्चा इन्द्र मेघवाल 20 जुलाई को एक प्राइवेट स्कूल सरस्वती विद्यालय में पढ़ने जाता है, बच्चे को प्यास लगती है, तो वहीं पास में रखे एक मटके से बच्चा पानी पी लेता है।

बच्चे को मटके में से पानी पीते हुए जातिवादी मानसिकता से ग्रसित अध्यापक छैल सिंह राजपूत उसे देख लेता है और अध्यापक छैल सिंह राजपूत को ये बात नागवार गुजरती है, कि एक दलित के बच्चे ने मटके से पानी क्यों पी लिया मटका गंदा हो गया, इसी बात को लेकर अध्यापक छैल सिंह राजपूत बच्चे इन्द्र मेघवाल को इतना मारता है, इतना मारता है, कि बच्चे की आँख सूज आती है, कान के पर्दे की नस तक फट जाती है।
बच्चा रोता बिलखता हुआ अपने घर पहुँचता है और अपने पिताजी दयाराम मेघवाल को सारी बात बताता है।
बच्चे के पिता दयाराम मेघवाल तुरंत बच्चे इन्द्र मेघवाल को जालोर के ही एक सरकारी जिला अस्पताल लेकर जाते हैं, साथ ही थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने जाते हैं, लेकिन पुलिस वाले राजपूत अध्यापक के दवाब की वजह से रिपोर्ट भी दर्ज नहीं करते हैं।
अस्पताल वाले देखकर वहाँ से उदयपुर के लिए रेफर कर देते हैं।
वहाँ भी बच्चे को कोई फायदा नहीं मिलता है, तो बच्चे के पिताजी दयाराम मेघवाल बच्चे को लेकर अहमदाबाद गुजरात के एक अस्पताल लेकर जाते हैं, लेकिन अफसोस 23 वें दिन बच्चा इन्द्र मेघवाल खत्म हो जाता है, यानी कल सुबह 13 अगस्त 2022 को।
ये बात जब बहुजन समाज के सुभचिंतकों और मीडिया को पता चलती है, तब अध्यापक छैल सिंह राजपूत के खिलाफ SC ST एक्ट और सुसंगत धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की जाती है और तब जाकर कहीं अध्यापक छैल सिंह राजपूत को गिरफ्तार किया जाता है।
इसमें भी राजस्थान कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार का जातिय भेदभाव देखिए।
बच्चे इन्द्र मेघवाल की मौत की कीमत राजस्थान कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा 5 लाख रुपए लगाई जाती है, और वहीं कोई दुसरा सवर्ण मरे तो पूरे पचास लाख और परिवार में से एक को सरकारी नौकरी।
वाह रे कांग्रेसियो दलित आदिवासी मरे तो पाँच लाख वो भी मिलें ना मिलें उसमें भी महीनों निकल जाएं इधर-उधर चक्कर काटते हुए, कोई सवर्ण मरे तो तुरंत पचास लाख और घर में से किसी एक को सरकार नौकरी।
इसमें भी देखिए उन चमचे दलित आदिवासियों को जो कांग्रेस भाजपा जैसी पार्टयों में रहकर उस सरकार के खिलाफ एक चूँ तक नहीं करते हैं।
बसपा प्रमुख बहन मायावती जी के खिलाफ पूरे दिन हाय तौबा करते रहेंगे।
वहीं कांग्रेस प्रमुखों राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी को देखिए इन घटनाओं पर एक ट्वीट तक नहीं करते हैं, वहीं अगर यही घटना किसी और सरकार में हुई होती तो कांग्रेसी हाय तौबा कर देते लेकिन अपनी सरकार में कुछ नहीं बोलेंगे। 
 हमारे समाज के साथ ये जातीय घटनाएँ आज कल की नहीं हैं, सदियों से हम ये जातीय दंश झेलते आ रहे हैं।
ये जातीय भेदभाव छुआछूत ये घटनाएँ आज भी लगातार हो रहीं हैं, जब हम आजादी का 75 वाँ अम्रत महोत्सव मना रहे हैं।
हमें नहीं चाहिए ऐसी आजादी जहाँ रोजाना हमारे लोगों के साथ जातीय भेदभाव और अत्याचार हो।
किस काम की ऐसी आजादी जहाँ हर रोज हमारे लोगों की मौत होती हो।

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